अशुभ रूप sentence in Hindi
pronunciation: [ ashubh rup ]
"अशुभ रूप" meaning in EnglishSentences
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- 1. शुभ रूप (शक्लें) 2. अशुभ रूप 3.
- शुक्ल-कृष्ण मिश्रित-ये कर्म साधारण जनता द्वारा बाह्य साधनोंका आश्रय लेकर शुभ-अशुभ रूप में किये जाते हैं।
- प्रश्न: तत्वों के अनुसार शुभ-अशुभ रूप (शक्ल) कौन से हैं? उत्तर: तत्वों के अनुसार शुभ अशुभ रूप इस प्रकार है।
- जन्मकुंडली में ग्रहों के सामंजस्य के अनुसार वह रत्न मानव के तंत्र को शुभ या अशुभ रूप में प्रभावित करता है या रत्न शास्त्र का विज्ञान।
- जन्मकुंडली में ग्रहों के सामंजस्य के अनुसार वह रत्न मानव के तंत्र को शुभ या अशुभ रूप में प्रभावित करता है या रत्न शास्त्र का विज्ञान।
- जन्मकुंडली में ग्रहों के सामंजस्य के अनुसार वह रत्न मानव के तंत्र को शुभ या अशुभ रूप में प्रभावित करता है या रत्न शास्त्र का विज्ञान।
- इसलिए इस प्रकार की स्थिति में सूर्य का रत्न धारण नहीं करना चाहिए तथा इसी प्रकार कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे किसी भी ग्रह का रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
- यदि यह अशुभ रूप में (उल्टा) आये तो दुर्भाग्य एवं परेशानियों का द्योतक है लेकिन इसका उल्टा चलना क्षण मात्र ही होता है क्योंकि यह पुनः समृद्धि की ओर बढ़ने लगता है।
- केतु यंत्र का प्रयोग अधिकतर ज्योतिषी किसी जातक की कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे केतु की अशुभता को कम करने के लिए अथवा केतु द्वारा किसी कुंडली में बनाए जाने वाले दोष के निवारण के लिए करते हैं।
- इसलिए किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे ग्रहों की अशुभता को कम करने के लिए तथा इनसे कुछ विशेष प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए मंत्रों, यंत्रों तथा कुछ अन्य प्रकार के उपायों का प्रयोग किया जाता है।
- चंद्र यंत्र का प्रयोग वैदिक ज्योतिष में सामान्यतया किसी कुंडली में अशुभ रूप से काम कर रहे चन्द्रमा के अशुभ फलों को कम करने के लिए अथवा चन्द्रमा द्वारा किसी कुंडली में बनाए जा रहे किसी दोष का निवारण करने के लिए किया जाता है।
- इस लिए मंगल का रत्न लाल मूंगा केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में मंगल शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को मंगल का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में मंगल अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं।
- वैदिक ज्योतिष गुरु पूजा का सुझाव मुख्य रूप से किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे बृहस्पति की अशुभता को कम करने के लिए, अशुभ बृहस्पति द्वारा कुंडली में बनाए जाने वाले किसी दोष के निवारण के लिए अथवा किसी कुंडली में शुभ रूप से कार्य कर रहे बृहस्पति की शक्ति तथा शुभ फल बढ़ाने के लिए देता है।
- वैदिक ज्योतिष चन्द्र पूजा का सुझाव मुख्य रूप से किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे चन्द्र की अशुभता को कम करने के लिए, अशुभ चन्द्र द्वारा कुंडली में बनाए जाने वाले किसी दोष के निवारण के लिए अथवा किसी कुंडली में शुभ रूप से कार्य कर रहे चन्द्र की शक्ति तथा शुभ फल बढ़ाने के लिए देता है।
- किन्तु यदि सूर्य किसी कुंडली में अशुभ रूप से काम कर रहा है तो इस स्थिति में जातक को सूर्य का रत्न माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे सूर्य को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जाएगा जिसके चलते ऐसा अशुभ सूर्य जातक को और भी अधिक हानि पहुंचाना शुरू कर देगा।
- किन्तु यदि सूर्य किसी कुंडली में अशुभ रूप से काम कर रहा है तो इस स्थिति में जातक को सूर्य का रत्न माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे सूर्य को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जाएगा जिसके चलते ऐसा अशुभ सूर्य जातक को और भी अधिक हानि पहुंचाना शुरू कर देगा।
- वैदिक ज्योतिष बुध पूजा का सुझाव मुख्य रूप से किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे बुध की अशुभता को कम करने के लिए, अशुभ बुध द्वारा कुंडली में बनाए जाने वाले किसी दोष के निवारण के लिए अथवा किसी कुंडली में शुभ रूप से कार्य कर रहे बुध की शक्ति तथा शुभ फल बढ़ाने के लिए देता है।
- इस स्थिति में चन्द्रमा के अशुभ फलों को कम करने के लिए चन्द्र यंत्र का प्रयोग ज्योतिष के अनुसार एक अच्छा उपाय सिद्ध हो सकता है क्योंकि चन्द्र यंत्र के प्रयोग से जातक कुंडली में अशुभ रूप से काम कर रहे चन्द्रमा के अशुभ फलों को कम भी कर सकता है तथा चन्द्रमा की सामान्य तथा विशिष्ट विशेषताओं से जुड़े लाभ भी प्राप्त कर सकता है।
- वैदिक ज्योतिष मुख्य रूप से कृतिका नक्षत्र यंत्र के प्रयोग का परामर्श किसी कुंडली में नकारात्मक अर्थात अशुभ रूप से काम कर रहे कृतिका नक्षत्र की नकारात्मकता को कम करने के लिये देता है किन्तु इसी के साथ साथ वैदिक ज्योतिष किसी कुंडली में सकारात्मक अर्थात शुभ रूप से कार्य कर रहे कृतिका नक्षत्र से और अधिक लाभ प्राप्त करने के लिये भी इस यंत्र के प्रयोग का सुझाव देता है।
- चन्द्रमा के रत्न को धारण करना उस स्थिति में एक अच्छा उपाय है जब रत्न धारक की कुंडली में चन्द्रमा एक शुभ ग्रह के रूप में कार्य कर रहे हों जिससे चन्द्रमा का रत्न धारण करके चन्द्रमा को अतिरिक्त बल प्रदान किया जा सकता है किन्तु चन्द्रमा के किसी कुंडली में अशुभ रूप से कार्य करने पर जातक को चन्द्रमा का रत्न मोती धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कुंडली में अशुभ रूप से कार्य कर रहे चन्द्रमा को अतिरिक्त बल प्राप्त होता है जिससे वह जातको को और अधिक हानि पहुंचा सकता है।
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ashubh rup sentences in Hindi. What are the example sentences for अशुभ रूप? अशुभ रूप English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.